सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति जरेरा की यजमानी में महापुराण कथा एवं महायज्ञ

सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति जरेरा की यजमानी में महापुराण कथा एवं महायज्ञ
पं प्रदीप कुमार शर्मा महाराज के मुखारबिंद से श्रीमद् देवी भागवत
नव मंदिर निर्माण, ग्राम देवी की भव्य और दिव्य प्राणप्रतिष्ठा
बालाघाट। जगत-जननी की असीम कृपा से जिला मुख्यालय के समीप ग्राम जरेरा में मां जगदम्बे की प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा पर्व हर्षोल्लास, भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। नवरात्रि की शुभ घड़ी में ग्राम की अति प्राचीन, सिद्ध देवी दाईं मंदिर का नव निर्माण कर ग्राम देवी प्रतिमा की पं प्रदीप कुमार शर्मा महाराज ने मंत्रोच्चार, विधि-विधान से पूजा अर्चन कर भव्य और दिव्य प्राणप्रतिष्ठा की। सर्वप्रथम माता रानी की सवारी गांव में निकली। जहां देवी भक्तों ने पुष्पवर्षा, ढोल-नगाड़े, नाचते, आतिशबाजी, मां जयकारों के साथ भावविभोर होकर मां की स्तुति की। इस क्षण गांव में भक्तिभाव पूर्ण वातावरण को परमानन्द की सुखद अनुभूति दी। दौर में मातृशक्ति की कलश यात्रा ने मां आत्मीय अगवानी कर श्रृद्धालु जनों ने लोक मंगल की कामनाएं की।
भक्तों का लगा तांता
शुभावसर पर दुर्गा उत्सव समिति की यजमानी में ग्रामीण जनों के विशेष सहयोग से श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा एवं महायज्ञ का वाचन व्यासपीठ से पं प्रदीप कुमार शर्मा महाराज, दुर्ग, छत्तीसगढ़ के मुखारबिंद से हो रहा हैं। साथ ही कथासार का पुरोहित पं द्वारका प्रसाद ने अलौकिक संचालन किया। पुण्य अवसर 22 सितंबर से 1 अक्टूबर, शाम 7 से रात 11 बजे तक श्रद्धालु भक्त गण श्रीमद् देवी भागवत महापुराण का श्रवण कर, पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। इस पावन पल में भक्तों का तांता लगा रहा। आगे पावन क्षण में यजमान ग्रामवासियों ने माता-रानी के भक्तों से भागवत कथा में गरिमामई उपस्थित का अनुनय किया हैं।
जिह्वा में सत्य और हृदय में पवित्रता: पं प्रदीप कुमार शर्मा
व्यासपीठ से पं प्रदीप कुमार शर्मा महाराज ने श्री हरि भगवद स्मरण में कहा कि अगर जिह्वा में सत्य है, चेहरे में प्रसन्नता है और हृदय में पवित्रता है तो यह निश्चित ही एक सुखद, मानव जीवन का शुभ संकेत है। ये पक्की बात है कि असत्य इंसान को भीतर से कमजोर कर देता है और जो लोग बात करते हैं, उनका आत्मबल बहुत ही कमजोर होता है। देखा गया है कि जो व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहता है जीवन में वही सबसे ज्यादा असत्य बात करता है। यथेष्ठ, सच्चिदानंद के स्वरूप सत्य, चित्त और आनन्द का भजन, चिन्तन, मनन और अनुपालन कर परिक्षित की भांति जगत कल्याण में जीवन समर्पित करने से ही भगवान भागवत का महापूजन सार्थक होगा। पावन बेला में बड़ी संख्या में भागवत प्रेमी भगवन की लीला का रसापान कर रहें हैं।