माधुरी खैरकर: सौंदर्य की दुनिया में सफलता की चमकती कहानी

माधुरी खैरकर: सौंदर्य की दुनिया में सफलता की चमकती कहानी
ब्यूटी पार्लर एवं सिलाई व्यवसाय से आत्मनिर्भर बना माधुरी का परिवार
बालाघाट जिले के वारासिवनी तहसील में स्थित नवेगांव की निवासी माधुरी खैरकर की कहानी एक साधारण महिला की असाधारण सफलता की मिसाल है। माधुरी के पति राजकुमार खैरकर हैं, और उनका परिवार चार सदस्यों का छोटा-सा खुशहाल परिवार है जिसमें माधुरी, उनके पति राजकुमार, और दो बच्चे है। राजकुमार एक सैलून चलाते हैं, जो परिवार की आजीविका का मुख्य स्रोत है। माधुरी ने 10वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की है और वे परमात्मा एक स्व-सहायता समूह की सक्रिय सदस्य हैं। घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ, माधुरी हमेशा से अपनी आजीविका चलाने और पति को आर्थिक रूप से सहारा देने की इच्छुक रही हैं। सौंदर्य के क्षेत्र में उनकी गहरी रुचि थी, लेकिन शुरुआत कैसे करें, यह चुनौती थी।
एक दिन, ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) बालाघाट के जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से माधुरी को पता चला कि यहां ब्यूटी पार्लर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह जानकारी उनके लिए एक सुनहरा अवसर साबित हुई। उत्साह से भरकर उन्होंने आरएसईटीआई से संपर्क किया और 30 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। इस प्रशिक्षण में उन्हें न केवल ब्यूटी पार्लर से संबंधित तकनीकी कौशल सिखाए गए, बल्कि उद्यमिता विकास के बारे में भी गहराई से समझाया गया – जैसे व्यवसाय प्रबंधन, ग्राहक सेवा, और चुनौतियों का सामना कैसे करें। यह प्रशिक्षण माधुरी के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ, क्योंकि इससे उन्हें आत्मविश्वास और व्यावहारिक ज्ञान मिला।
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, माधुरी ने अपनी मेहनत और सेल्फ फाइनेंस की मदद से वारासिवनी तहसील में अपना ब्यूटी पार्लर खोला, जिसका नाम रखा ‘अवनी ब्यूटी पार्लर’। 2 अप्रैल 2024 को इस पार्लर की भव्य ओपनिंग हुई। शुरुआत में व्यवसाय चलाने में कुछ समस्याएं आईं – जैसे ग्राहकों को आकर्षित करना और बाजार में प्रतिस्पर्धा। लेकिन आरएसईटीआई में सिखाए गए उद्यमशीलता के गुणों का उपयोग करके माधुरी ने इन चुनौतियों पर विजय पाई। उन्होंने अपने कौशल से ग्राहकों को संतुष्ट किया और धीरे-धीरे अपना कारोबार मजबूत किया।
आज माधुरी हर महीने 15-20 हजार रुपये कमाती हैं, जो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है। अब वे न केवल अपनी आजीविका चला रही हैं, बल्कि पति राजकुमार को भी सहारा दे रही हैं। बच्चे बेहतर शिक्षा और सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं, और पूरा परिवार खुशहाली से जी रहा है। माधुरी की यह कहानी बताती है कि सही दिशा, मेहनत और प्रशिक्षण से कोई भी महिला अपनी किस्मत खुद लिख सकती है। आरएसईटीआई जैसे संस्थानों का योगदान ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में अहम है। माधुरी अब अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं, जो सौंदर्य की दुनिया में अपनी पहचान बना रही हैं।